आकाश को मुठ्ठी में भर लो ..
तुम्हें देखा
तो वह लड़की याद आई
जो फूलोंवाली फ्रॉक पहन
बसंत का संदेशा देती थी
आम्र मंजरों में
कोयल की कूक बन
मुखरित होती थी
जेठ की दोपहरी में
आसाढ़ के गीत गुनगुनाती
रिमझिम बारिश में
कलकल नदी की रुनझुन धार-सी
किसानों के घर की सोंधी खुशबू में ढल जाती थी
शरद चांदनी बन धरती पर उतरती थी ............
आंखें तुम्हारी ख़्वाबों का खलिहान आज भी हैं
गेहूं की बालियां अब भी मचलती हैं आंखों में
पर वक़्त ने शिकारी बन
तुम्हें भ्रमित किया है !
एक बात कहूं?
वक़्त की ही एक सौगात मैं भी हूं
जागरण का गीत हूं
जागो
और फिर से अपने क़दमों पर भरोसा करो
उनकी क्षमताएं जानो
और आकाश को मुठ्ठी में भर लो
-रश्मि प्रभा

बक़ौल रश्मि प्रभा... मैं रश्मि प्रभा , सौभाग्य मेरा कि मैं कवि पन्त की मानस पुत्री श्रीमती सरस्वती प्रसाद की बेटी हूं और मेरा नामकरण स्वर्गीय सुमित्रा नंदन पन्त ने किया और मेरे नाम के साथ अपनी स्व रचित पंक्तियां मेरे नाम की..."सुन्दर जीवन का क्रम रे, सुन्दर-सुन्दर जग-जीवन" , शब्दों की पांडुलिपि मुझे विरासत मे मिली है. अगर शब्दों की धनी मैं ना होती तो मेरा मन, मेरे विचार मेरे अन्दर दम तोड़ देते...मेरा मन जहां तक जाता है, मेरे शब्द उसके अभिव्यक्ति बन जाते हैं, यकीनन, ये शब्द ही मेरा सुकून हैं.....
इन शब्दों की यात्रा तब से आरम्भ है, जब मन एक उड़ान लेता है और अचानक जीवन अपनी जटिलता , अनगिनत रहस्य लिए पंखों को तोड़ने लगती है.....

जी हां ऐसे में पन्त की रचना ही सार्थक होती है-
"वियोगी होगा पहला कवि
आह से उपजा होगा गान"

13 Comments

  1. डॉ. राजेश नीरव Says:
  2. सुकुमार भाव.....

     
  3. राकेश जैन Says:
  4. dono me dam hai....aapki kavita me, aur vyaktitva me..aapke pariparshv me..

     
  5. आमीन Says:
  6. bahut hi achha likha, badhai..

    http://dunalee.blogspot.com/

     
  7. रश्मि प्रभा... Says:
  8. शुक्रिया

     
  9. महफूज़ अली Says:
  10. bahut achcha laga mom....

     
  11. Rajnish Says:
  12. Didi lagta ha, prshansa pane ki bhukh sabke pas hai. Kavita bahut achchhi hai.

     
  13. kishor kumar khorendra Says:
  14. osya hari dubo ki tarah
    kitani komalata se aapne yah kavita likh di hae

    ati sundar

     
  15. ρяєєтι Says:
  16. वक़्त ने चाहा, तो बसंत का सन्देश ले आई,
    कोयल की कुहू-कुहू, तो बारिश की रिमझिम नज़र आई ...

    सच कहा - सब वक़्त का खेल है , बहुत कुछ लिया तो कुछ-कुछ दिया भी है ... उस कुछ-कुछ को पहचान कर आगे बढ़ना है और छूना है आसमान ...ILu..!

     
  17. Kiran Sindhu Says:
  18. बचपन की आँखों में मासूम सपने और अपनी लड़ाई लड़ने का हौसला, एक उद्देश्य से भरी कविता.---- ईश्वर आपके हौसले को बुलंद रखे!
    ---किरण सिन्धु.

     
  19. MANOJ KUMAR Says:
  20. संवेदनशील रचना। बधाई।

     
  21. sangeeta Says:
  22. वक़्त की ही एक सौगात मैं भी हूं
    जागरण का गीत हूं
    जागो
    और फिर से अपने क़दमों पर भरोसा करो
    उनकी क्षमताएं जानो
    और आकाश को मुठ्ठी में भर लो

    rashmi ji,
    ek nayi chetna aur naya sndesh de rahi hai aapki rachna...bahut sundar abhivyakti hai....badhai

     
  23. H.P. SHARMA Says:
  24. aapne purane pal yad dila diye, sundar rachna . sadhuwad

     
  25. Mukesh Kumar Sinha Says:
  26. Rashmi Di!! aakash ko muthhi me karne ki takkat aapko aur kahan kahan le jayegi..............superb!! aapka jabab nahi!!

     

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