मौसम में बदलाव !
अब ग़रीब लोगों को कम्बल, बांटें, गिरे हुए हैं भाव !!
भारतीय युवकों पर हमले !
हमले से बोलो, कि थम ले !!
गर्मी की दस्तक !
घूम गया सर्दी का मस्तक ??
व्यापारी को धुनकर लूटा !
उसकी इनकम सुनकर लूटा ??
जागो, ग्राहक जागो !
जेब कटे, इससे ही पहले, तुम दुकान से उठकर भागो !!
सरकारी कर्मी !
जेबों में रखते रोज़ाना, ऊपर की इनकम की गर्मी !!
रिक्शा-चालक !
पुलिस-बेंत इनके संचालक !!
फंदा !
अपने फंदे में फंसकर अब, चीख रहा है, मूरख बंदा !!
दबंग ने धुना !
अपने से कमज़ोर चुना ??
शिकंजा !
कसने से पहले तू शातिर, किसी चील जैसा भी बन जा !!
कवायद !
देखो, शुरू करेंगे, शायद !!
-अतुल मिश्र
3 दिसम्बर 2018
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वो तारीख़ 3 दिसम्बर 2018 थी... ये एक बेहद ख़ूबसूरत दिन था. जाड़ो के मौसम के
बावजूद धूप में गरमाहट थी... फ़िज़ा गुलाबों के फूलों से महक रही थी...
ये वही दिन था ज...