मां

Posted Star News Agency Tuesday, March 09, 2010

मेरे गीतों में तू मेरे ख्वाबों में तू,
इक हकीकत भी हो और किताबों में तू।
तू ही तू है मेरी जिन्दगी।
क्या करूं मां तेरी बन्दगी।।

तू न होती तो फिर मेरी दुनिया कहां ?
तेरे होने से मैंने ये देखा जहां।
कष्ट लाखों सहे तुमने मेरे लिए,
और सिखाया कला जी सकूं मैं यहां।
प्यार की झिरकियां और कभी दिल्लगी।
क्या करूं मां तेरी बन्दगी।।

तेरी ममता मिली मैं जिया छांव में।
वही ममता बिलखती अभी गांव में।
काटकर के कलेजा वो मां का गिरा,
आह निकली उधर, क्या लगी पांव में?
तेरी गहराइयों में मिली सादगी।
क्या करूं मां तेरी बन्दगी।।

गोद तेरी मिले है ये चाहत मेरी।
दूर तुमसे हूं शायद ये किस्मत मेरी।
है सुमन का नमन मां हृदय से तुझे,
सदा सुमिरूं तुझे हो ये आदत मेरी।
बढ़े अच्छा इयां दूर हो गन्दगी।
क्या करूं मां तेरी बन्दगी।।
-श्यामल सुमन

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    26 रबी अल-अव्वल, हिजरी सन् 1431, 11 मार्च, 2010 गुरुवार, तिथि संवत : चैत्र कृष्ण एकादशी, संवत् 2066, शाके 1931, रवि उत्तरायने, वसंत ऋतु. पापमोचनी एकादशी. सूर्योदय कालीन नक्षत्र : उत्तराषाढ़ा सायं 7.21 तक, पश्चात श्रवण नक्षत्र, परिघ योग तथा बालवकरण. ग्रह विचार : सूर्य-बुध, गुरु-कुंभ, शुक्र-मीन, केतु-मिथुन, मंगल-कर्क, शनि-कन्या, राहु-धनु तथा चंद्रमा-मकर राशि में. चौघड़िया मुहूर्त : प्रात: 6.39 से 8.09 तक शुभ, प्रात: 11.07 से 12.37 तक चंचल, दोपहर 12.37 से 2.06 तक लाभ, सायं 5.05 से 6.34 तक शुभ, सायं 6.34 से 8.05 तक अमृत, रात्रि 8.05 से 9.35 तक चंचल. राहुकाल : दोपहर 2.06 से 3.35 तक. शुभ अंक 8, शुभ रंग नीला

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