सरफ़राज़ ख़ान
नई दिल्ली.  गर्भ के दौरान चॉकलेट खाने से गंभीर समस्या जिसे प्रीक्लैम्प्सिया के नाम से जाना जाता है, से निजात पाने में मदद मिलती है। यह खुलासा येल यूनिवर्सिटी के एक शोध में दिखाया गया है जो एपिडमियोलॉजी में प्रकाशित  हुआ है।

हार्ट केयर फाउंडेशन   ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के के अग्रवाल  और  डॉ. बी सी राय के मुताबिक़   बहुत ज्यादा चॉकलेट के लेने से मोटापा बढ़ सकता है साथ ही मधुमेह और दिल की बीमारी के लिए स्थिति घातक हो सकती है। डार्क चॉकलेट कैमिकल से भरपूर होती है जिसे थियोब्रोमाइन कहते हैं जो दिल को प्रोतसाहित करता है, मांसपेशियां  आराम से काम करती है साथ ही रक्त की नसें फैल जाती हैं।

प्रीक्लैम्प्सिया में गर्भ के दौरान रक्तचाप स्पाइक हो जाता है और पेशाब में अधिक प्रोटीन निकलने लगता है। इसकी पड़ताल के लिए डॉ. एलिजाबेथ डब्ल्यू ट्राइक ने 2,291 महिलाओं पर परीक्षण किया जिनको एक बच्चा हो चुका था और उन्होंने पाया कि जिन्होंने बहुत ज्यादा चॉकलेट खायी व जिनके बच्चों के कॉर्ड ब्लड में सबसे ज्यादा थियोब्रोमाइन हुआ, उनमें सबसे कम प्रीक्लैम्प्सिया हुआ।

महिलाएं जिनमें सबसे ज्यादा कॉर्ड ब्लड पाया गया, उनमें सबसे कम वालों की तुलना में थियोब्रोमाइन 69 फीसदी कम हुआ। जिन महिलाओं ने अपने गर्भ के तीसरे ट्राइमेस्टर के दौरान हर हफ्ते पांच या इससे अधिक बार चॉकलेट का सेवन
किया उनमें प्रीक्लैम्प्सिया का खतरा 40 फीसदी कम हुआ बनिस्बत उन महिलाओं के जिन्होंने हफ्ते में महज एक बार चॉकलेट ली। इसी तरह चॉकलेट लेना और प्रीक्लैम्प्सिया का खतरा पहले ट्राइमेस्टर में जिन्होंने हफ्ते में पांच या इससे अधिक बार चॉकलेट का सेवन किया उनमें यह खतरा 19 फीसदी कम हुआ बनिस्बत उनके जिन्होंने हफ्ते में एक बार से भी कम ली।

मसूढ़ों में बैक्टीरिया से होती है समय पूर्व डिलीवरी
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि दांतों की उचित देखभाल करके हार्ट अटैक, हार्ट ब्लॉकेज, अस्थमा और सीओपीडी से बचा जा सकता है। मसूढ़ों में मौजूद बैक्टीरिया का सम्बंध पहले कई बीमारियों से था।

प्रीनैटल केयर प्रोग्राम में दांत सम्बंधी उपचार को शामिल किया जाना चाहिए, जर्नल ऑफ पीरियोडोंटोलॉजी में दिखाया गया है कि गर्भवती महिलाओं में मसूढ़ की बीमारी का उपचार करके समय पूर्व जन्मने वाले बच्चे पर काबू पाया जा सकता है।

एक अध्ययन में दिखाया गया है कि जब गर्भवती महिलाओं में दांत संबंधी बीमारी होती है और वे इसका उचित इलाज नहीं करवाती हैंतो इससे समय पर्वू बच्चे को जनने का खतरा रहता है बनिस्बत उन महिलाओं के जिनमें मसूढ़ों की बीमारी नहीं होती है। जो उपचार नहीं कराती हैं, उनमें समय पूर्व डिलीवरी होने का खतरा 90 गुना बढ़ जाता है। एक अन्य अध्ययन में पाया गया  कि दांत सम्बंधी बीमारी की शिकार गर्भवती महिलाओं के मसूढ़ों में जितने ज्यादा बैक्टीरिया होते है, उनमें शिशु के उतने ही ज्यादा समय पूर्व डिलीवरी का खतरा रहता है।

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