प्रभावती आकाशी
प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने 11 जनवरी 2010 को जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन का समारंभ करते हुए सौर भारत के निर्माण की अपनी संकल्पना का भी इजहार किया। उनके स्वप्नों को साकार करने के लिये अब प्रयास शुरू हो गए हैं। इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम ऑफ ग्रिड अथवा विकेन्द्रीकृत उपयोगों के लिये दिशानिर्देशों के बारे में की गई हालिया घोषणा के रूप में उठाया गया है। राष्ट्रीय सौर मिशन का क्रियान्वयन तीन चरणों में किया जाएगा। इससे 2022 तक 20 हजार मे.वा. की ग्रिड ऊर्जा की स्थापित क्षमता, 2 हजार मे.वा. का ऑफ ग्रिड प्रयोग 2 करोड़ वर्ग मीटर का सौर तापीय संग्रहण क्षेत्र(सोलर थर्मल कलेक्टर एरिया) और 2 करोड़ घरों में सौर ऊर्जा वाली प्रकाश व्यवस्था करने का लक्ष्य है। तेरहवीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक सौर ऊर्जा का व्यापक उपयोग करने का इरादा है।

मिशन का तात्कालिक लक्ष्य केन्द्रीकृत और विकेन्द्रीकृत, दोनों स्तरों पर देशभर में सौर प्रौद्योगकी की पैठ बढाने के लिये अनुकूल वातावरण तैयार करना है। ग्रिड को 1000 मे वा. की सौर ऊर्जा (सौर तापीय और फोटोवोल्टिक) के संभरण के अलावा, पहले चरण में (मार्च 2013 तक) 200 मे.वा. क्षमता की ऑफ ग्रिड सौर ऊर्जा के संवर्धन पर जोर दिया जाएगा ताकि गर्म और ठंडा करने के लिये ऊर्जा की आवश्यकताओं को आंशिक रूप से पूरा किया जा सके। इसके साथ ही लघु ग्रिड से जुड़े 100 मे.वा. क्षमता के अन्य सौर ऊर्जा संयंत्रों को भी बढावा दिया जाना है।

ऑफ ग्रिड सौर प्रयोग
ऑफ ग्रिड सौर ऊर्जा के प्रयोग की गांवों और दूर दराज के क्षेत्रों में भारी संभावना है। ग्रामीण क्षेत्रों की प्रकाश और बुनियादी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में सौर ऊर्जा का योगदान काफी महत्वपूर्ण हो सकता है। इनमें लघु सौर संयंत्र, छत पर लगे सौर ऊर्जा उपकरणों का प्रयोग, सौर प्रकाश एवं सौर लालटेन और आवासीय वाणिज्यिक , संस्थागत तथा औद्योगिक उपयोगों के लिये जल उष्मक जैसे सौर तापीय उपयोग शामिल हैं।

और भी अधिक महत्वपूर्ण प्रयोग हैं। ऑफ ग्रिड उपयोग की भांति ही विकेन्द्रीकृत सौर ऊर्जा का विद्युत उत्पादन और डीजल की खपत में कमी लाने, विशेषकर दिन के समय, में भारी संभावना है। दिन के समय उपयोग के लिये छत पर लगे संयंत्रों से चलने वाले उपकरणों से सौर ऊर्जा का व्यापक उपयोग हो सकता है। इससे डीजल की खपत में कमी होगी। जिन औद्योगिक क्षेत्रों में बिजली की ज्यादा कमी रहती है, उनमें भी सौर ऊर्जा के उपयोग को बढावा दिया जा सकता है। इसी प्रकार आवासीय वाणिज्यिक, सांस्थानिक और औद्योगिक उपयोगों के लिये वाटर हीटर्स जैसे सौर ताप से गर्म करने वाले अनेक उपयोग हैं जो पहले से ही वाणिज्यिक तौर पर व्यवहारिक पाए गए हैं।

इस प्रकार के और अन्य अनेक सौर तापीय उपयोगों से शहरी और औद्योगिक क्षेत्रों में ग्रिड पर निर्भरता को कम किया जा सकता है । इससे डीजल और गैस की खपत में भी कमी की जा सकती है।

लाभ
देश में ऐसे अनेक क्षेत्र हैं, जहां अभी तक बिजली की सुविधा नहीं पहुंची है। ऐसे ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में ऑफ ग्रिड सौर ऊर्जा का उपयोग सरलता से हो सकता है।

उत्पादन को लेकर वितरण के बिंदुओं के बीच पारेषण में विद्युत का काफी ह्रास होता है। उपभोग के बिंदुओं यानि जहां पर उपयोग हो रहा हो वहीं पर विद्युत के संभरण से न केवल इस ह्रास को रोका जा सकता है बल्कि इससे ग्रिड भी सुदृढ हाेता है और विद्युत प्रवाह भी सुगम रहता है।

एलटी11के.वी. की ग्रिड को विद्युत संभरण, सौर ऊर्जा का एक और ऐसा उपयोग है, जिससे गांवों में पम्प सेटों और छोटे उद्योगों में विद्युत उकरणों का प्रचालन किया जा सकता है। दिन के समय इन उपकरणों के इस्तेमाल से डीजल जनरेटर के उपयोग की आवश्यकता नहीं रहेगी।

1-2 मे.वा. क्षमता के लघु सौर संयंत्र अनेक सिंचाई पम्पों को चलाने मे समर्थ हो सकते हैं। अनेक राज्य इस प्रकार के संयंत्र लगाने के प्रति उत्सुक हैं ताकि विद्युत आपूर्ति, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में वृध्दि की जा सके। यदि पूरे देश में ऐसे संयंत्रों का जाल बिछाया जा सके तो कमाल हो सकता है।

प्रमुख विशेषताएं
केन्द्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री डा. फारूक अब्दुल्ला ने हाल ही में नई दिल्ली में दिशा निर्देशों को जारी किया। दिशानिर्देशों की कुछ प्रमुख विशेषतायें इस प्रकार हैं -
योजना का विस्तार क्षेत्र
यह योजना देश के सभी भागों में लागू होगी। प्रारंभ में, यह जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन के प्रथम चरण के साथ-साथ चलेगी। तदनुसार ऑफ ग्रिड और विकेन्द्रीकृत प्रणालियों के संवर्धन पर जोर दिया जाएगा। इसमें ऊर्जा की आवश्यकता को पूर्णआंशिक तौर पर पूरा करने तथा गर्म और ठंडा करने वाले उपकरणों की विद्युत आवश्यकताओं को पूरा करने वाली मिश्रित (हायब्रिड) प्रणालियां शामिल हैं।

क्रियान्वयन
योजना पर व्यवस्थित रूप से अमल करने के लिये सभी चैनल सहभागियों का सहयोग लिया जाएगा। चैनल सहभागियों में नवीकरणीय ऊर्जा की आपूर्ति करने वाली कंपनियां, सूक्ष्म वित्त संस्थाओं सहित वित्तीय संस्थायें, वित्तीय इंटीग्रेटर्स , सिस्टम इंटीग्रेटर्स और कार्यक्रम प्रशासक भी शामिल हैं।

वित्त पोषण
योजना के तहत वित्त पोषण परियोजना पध्दति के आधार पर होगा, अर्थात परियोजना रिपोर्ट होनी जरूरी है जिसमें ग्राहकों का विवरण, तकनीकी और वित्तीय ब्यौरा, ओ एंड एम (संगठन एवं प्रबंधन) और निगरानी व्यवस्ष्था की जानकारी शामिल होगी । परियोजना का पूरा खर्च मिले -जुले रूप में प्राप्त होगा। इसमें उधार और प्रोत्साहन राशि के साथ प्रवर्तक की कम से कम 20 प्रतिशत की अंशपूंजी सम्मिलित है।

एमएनआरई भी 30 प्रतिशत की सब्सिडी और अथवा 5 प्रतिशत की ब्याजदर पर कर्ज के तौर पर वित्तीय सहायता प्रदान करेगा।

पैसा जारी करना
परियोजना के लिये धनराशि कार्योंपरांत उसके सत्यापन के बाद प्रतिपूर्ति के रूप में जारी की जाएगी।

अनुमोदन
एमएनआरई द्वारा गठित समिति परियोजना रिपोर्ट प्राप्त होने के 45 दिनों के भीतर परियोजना का अनुमोदन करेगी।

परियोजना प्रबंधन परामर्शदाता
परियोजना प्रबंधन परामर्शदाता के तौर पर सरकार एक प्रतिष्ठित एजेंसी की सेवायें लेगी । यह एजेंसी परियोजना की औपचारिक मंजूरी से पूर्व योजना तैयार करने, उसका मूल्यांकन करने और छानबीन करने में मदद करने जैसे सभी कार्य करेगी । ये सभी कार्य एमएनआरई के तत्वाधान में होंगे । यह, यदि आवश्यकता हुई तो क्रियान्वयन के लिये विस्तृत दिशानिर्देश प्रारूप तैयार करने में मंत्रालय की सहायया भी करेगी।

निगरानी और मूल्यांकन
योजना के तहत आई टी जनित निगरानी और सत्यापन की औपचारिक व्यवस्था की गई है जिसके लिये विभिन्न चैनल सहभागियों को परियोजना लागत की 5 प्रतिशत राशि उपलब्ध होगी ।

नवाचार का समर्थन
मंत्रालय, सौर प्रणालियों के नवीन और अभिनव अनुप्रयोगों के प्रदर्शन के लिये मार्गदर्शी और प्रयोगात्मक परियोजनाओं को हाथ में लेने हेतु 100 प्रतिशत सीएफए तक दे सकता है।

तकनीकी आवश्यकतायें
योजना के तहत परियोजना के प्रवर्तकों को मंत्रालय द्वारा समय-समय पर निर्धारित राष्ट्रीयअंतर्राष्ट्रीय मानकों का कड़ाई से पालन करना होगा।

दिशा-निर्देशों की व्याख्या
इन दिशा-निर्देशों के किसी भी प्रावधान की अस्पष्टता के मामले में मंत्रालय का निर्णय अंतिम माना जाएगा।

समीक्षा
योजना की समीक्षा छमाहीवार्षिक अंतराल पर आंतरिक समीक्षा समिति करेगी और यदि उसमें किसी संशोधन की आवश्यकता महसूस हुई तो मंत्रालय ही उसे शामिल करेगा।

डा. अब्दुल्ला ने उचित ही कहा है कि ये दिशानिर्देश उन परिस्थितियों का निर्माण करेंगे जिनमें उपर्युक्त सभी को प्रोत्साहन मिलेगा। राज्य सरकारें , उद्यमी और हितग्राही सभी इस योजना का पूरा-पूरा लाभ उठायेंगे तथा सुदृढ एवं जीवंत सौर भारत के निमार्ण के स्वप्न को पूरा करेंगे।


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