स्टार न्यूज़ एजेंसी
नई दिल्ली. देश  में किसानों को कृषि ऋण के रूप में इस वर्ष सितम्बर तक 1.38 लाख करोड़ रुपये वितरित किए जा चुके हैं। यह रकम चालू वित्त वर्ष के लिए निर्धारित लक्ष्य का लगभग 42.41 प्रतिशत है। वर्ष 2009-10 के दौरान 3.25 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य हासिल करने का निश्चय किया गया है।

वर्ष 2003-04 से ही कृषि ऋण का प्रवाह लगातार लक्ष्य से अधिक रहा और वर्ष 2003-04 में 86,981 करोड़ रुपये से बढक़र वर्ष 2008-09 में 2,87,149 करोड़ रुपये हो गया। जून, 2004 में सरकार ने तय किया कि आधार वर्ष 2003-04 के संदर्भ में तीन वर्षों में कृषि ऋण का प्रवाह बढक़र दुगुना हो जाए।

खरीफ 2006-07 से किसानों को 7 प्रतिशत ब्याज दर पर 3 लाख रुपये की रकम कृषि ऋण के रूप में मिल रही है। 1 प्रतिशत अतिरिक्त इस वर्ष से प्रोत्साहन के रूप में उन किसानों को दिया जाएगा, जो अल्पकालिक कृषि ऋणों का भुगतान निर्धारित समय पर कर देगें, उससे उनकी ब्याज दर कम करके 6 प्रतिशत सालाना कर दिया जाएगा। उनके लिए अन्य कृषि ऋण की सीमा भी 10,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दी गई है। किसान ऋण कार्ड उपलब्ध कराने के लिए शाखाग्राम स्तर पर सघन अभियान चलाया जाएगा। राज्य सरकारों ने जुलाई, 2009 तक 8.53 करोड़ कार्ड जारी किए हैं।

सरकार ने ऋण माफ एक मुश्त समाधान के जरिए 3.68 करोड़ किसानों को 65,318.33 करोड़ रुपये उपलब्ध कराकर उन्हें बैंकिंग प्रणाली से ताजा ऋण सुविधा पाने के योग्य कर दिया। एकमुश्त समाधान के तहत सरकार ने देय रकमों के पुनर्भुगतान की समय सीमा 30 जून, 2009 से बबढ़ाकर 31 दिसंबर, 2009 कर दी। सरकार अल्पावधि के ग्रामीण सहकारिता ऋण ढांचे के बहाल पैकेज को कार्यान्वित कर रही है जिस पर 13596 करोड़ रुपये की लागत आएगी। 25 राज्य सरकारें इसके लिए केन्द्र और नाबार्ड के साथ आशय पत्र पर हस्ताक्षर किये हैं। सरकार ने उन किसानों की समस्याओं पर भी विचार करने के लिए एक कार्यबल गठित किया है, जिन्होंने निजी ऋणदाताओं से ऋण लिये हैं। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल और महाराष्ट्र में किसानों द्वारा आत्महत्या का कदम उठाने की आशंका वाले 31 जिलों के लिए जुलाई 2009 तक के लिए 16,688.75 करोड़ रुपये का पुनर्वास पैकेज जारी किया गया है।

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    अंदाज़-ए-बयां

    सीने में जलन आंखों में तूफ़ान सा क्यूं है
    इस शहर में हर शख़्स परेशान सा क्यूं है

    दिल है तो धड़कने का बहाना कोई ढूंडे
    पत्थर की तरह बे-हिस-व-बेजान-सा क्यूं है

    तन्हाई की यह कौन-सी मंज़िल है रफ़ीक़ो
    ता हददे-नज़र एक बयाबान-सा क्यूं है

    हम ने तो कोई बात निकाली नही ग़म की
    वह ज़ूद-ए-पशीमान, पशीमान-सा क्यूं है
    -शहरयार

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    "लालू जी अमेरिका गए
    वहां के मंत्री के घर देखा .........आलीशान
    बोले ............इतनी कम पे में ऐसी कोठी कैसे
    .........उसने खिड़की खोली बोला ...सामने पुल देख रहे हो ......50% कमीशन
    .........अगले साल वो मंत्री लालू जी से मिलने भारत आया
    लालू जी ने अपना महल दिखाया .............
    वो बोला इतने गरीब बिहार में आइस्सा शानदार महल .......कैसे
    लालू जी उसको छत पर ले गए .............वो नेशनल हाई वे देख रहे हो ...
    मंत्री बोला कहां है? दिखाई नहीं दिया
    लालू जी--------------100 % .........................."
    -विजय अरोरा

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