स्टार न्यूज़ एजेंसी
पेरिस (फ्रांस). फ्रांस में बुर्क़े पर प्रतिबंध का रास्ता साफ़
हो गया है. देश में संसद के निचले सदन ने सार्वजनिक स्थानों पर पूरे शरीर और चेहरे
को ढकने वाला बुर्क़ा पहनने पर रोक लगाने संबंधी क़ानून को भारी बहुमत से मंज़ूरी
दे दी है. नेशनल एसेंबली में इस क़ानून के पक्ष में 335 सांसदों ने मत दिया, जबकि
विरोध में सिर्फ़ एक सांसद ने मतदान किया. सितंबर में संसद के ऊपरी सदन सीनेट की
मंज़ूरी मिलने के बाद यह क़ानून बन जाएगा.
संसद ने मई में एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें कहा गया था कि बुर्का़
महिला-पुरुष समानता पर आघात है और फ्रांसीसी गणराज्य के मूल्यों के ख़िलाफ़ है.
संसद में मई में पारित प्रस्ताव नए क़ानून के तहत सार्वजनिक स्थान पर पूरा बुर्क़ा
पहनने वाली महिलाओं पर 150 यूरो का जुर्माना लगाया जाएगा. महिलाओं को बुर्का़ पहनने
के लिए मजबूर करने वाले पुरुषों को तीस हज़ार यूरो तक जुर्माना भरना पड़ सकता
है.
राष्ट्रपति निकोला सार्कोज़ी ने इस प्रतिबंध का ज़ोरदार तरीक़े से समर्थन किया
है. उनका कहना है कि पूरे चेहरे तथा शरीर को ढकने वाले बुर्के़ महिलाओं के अधिकारों
का हनन करते हैं. फ्रांस में आम जनमत बुर्क़े के ख़िलाफ़ है, लेकिन मुस्लिम
कट्टरपंथी इसका विरोध कर रहे हैं. मतदान में विपक्षी सोशलिस्ट पार्टी के सांसदों ने
हिस्सा नहीं लिया. वे चाहते हैं कि सिर्फ़ सार्वजनिक इमारतों में ही पूरे बुर्क़े
पर रोक लगाई जाए.
फ्रांस की क़ानून मंत्री मिशेल एलियट मरी ने इन आरोपों को ग़लत बताया है कि
किसी एक धर्म या समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है, उन्होंने कहा कि इस क़ानून में
कहीं इस्लाम या मुसलमानों का नाम नहीं लिया गया है. एक अनुमान के मुताबिक़ फ्रांस
में दो हज़ार महिलाएं पूरा बुर्क़ा पहनती हैं, जबकि फ्रांस में मुसलमानों की आबादी
क़रीब पचास लाख के क़रीब है.
गौरतलब है कि स्पेन और बेल्जियम में भी बुर्क़े पर पाबंदी लगाने की कवायद जारी
है.